सोमवार, 10 सितंबर 2012

विवशता !


                     मंदिर में देर रात कुछ लोग मुंह ढंके जगदीश्वर  के सामने आए । पूजन किया, भेंट चढ़ाई और बोले - ‘‘ हम डाकू हैं । इस समय गांव में डाका डालने जा रहे हैं । हे जगदीश्वर ......  आप कृपा कर हमें आशीर्वाद  दीजिए कि तगड़ा माल लूटने को मिले । ’’
                   जगदीश्वर  ने कहा - ‘‘ तथास्तु । .... सफल भव । ’’
                   डाकू चले गए । पास बैठी देवी कुछ समझ नहीं पाईं । वे घूरने लगीं .
                   जगदीश्वर  बोले - ‘‘  घूरो मत , ..... सदा सच बोलने वालों का साथ देना और सहायता करना मेरी विवशता है देवी । ’’

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3 टिप्‍पणियां:

  1. डकैती की प्रथा पर सच्चाई की मुहर.! गजब उलटबाँसी है सर।

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    1. शुक्रिया ब्रजेश भाई । पारखी न हों तो सोना कबाड़ है ।

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  2. bahut badhiya .....sach bolne ka kuch n kuch inam to milna hi chahiye ...

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