सोमवार, 12 मार्च 2012

भ्रष्टाचार !


                     जगदीश्वर  सो रहे थे , मध्य रात्रि में  दरवाजे पर दस्तक हुई । सोचा कोई दुखियारा होगा, उठ कर दरवाजा खोला तो देखा तमाम अफसर हैं । पता चला कि आयकर विभाग से आए हैं, जांच करेंगे यानी छापा पड़ा है ।
दो घंटे की छानबीन के बाद अफसर बोला - ‘‘ तीनों तहखाने देखने के बाद साफ होता है कि आपके पास आय से अधिक संपत्ती है । ’’

‘‘ भक्तजन चढ़ा जाते हैं । इसमें मैं क्या कर सकता हूं ! ’’ जगदीश्वर  ने आय का प्रश्न साफ  करने का प्रयास किया ।
‘‘ भक्त सौ-पचास रुपए चढ़ाते होंगे ? ’’
‘‘ नहीं , बहुत से भक्त लाखों चढ़ाते हैं .... और कुछ तो उससे भी ज्यादा । ’’
‘‘ यों ही नहीं चढ़ाते होंगे । ....... आप उन पर विशेष  कृपा करते होंगे  तभी वे लाखों चढ़ाते हैं ? ’’
‘‘ सो तो है ना । बिना विशेष  कृपा पाए कोई क्यों चढ़ाएगा ! ’’ जगदीश्वर  ने आत्मविश्वास   के साथ बताया ।
‘‘ ठीक ....... , अब आप यह भी जान लीजिए कि संसार में इसी को भ्रष्टाचार कहते हैं । ’’
अफसर ने चालान के कागज निकालते हुए कहा ।
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